Saturday, 4 March 2017

कर्त्तव्य प्रेम की उलझन में पथ भूल न जाना पथिक कहीं ।

जब कठिन-कर्म पगडंडी पर ,
राही का मन उन्मुख होगा ।
जब सपने सब मिट जाएँगे ,
कर्तव्य मार्ग सम्मुख होगा ।
कर्त्तव्य प्रेम की उलझन में 
पथ भूल न जाना पथिक कहीं ।
#vinodJakhar
कर्त्तव्य प्रेम की उलझन में  पथ भूल न जाना पथिक कहीं ।
कर्त्तव्य प्रेम की उलझन में 
पथ भूल न जाना पथिक कहीं ।

Monday, 27 February 2017

Vijay singh pathik

#विजय_सिंह_पथिक उर्फ़ भूप सिंह #गुर्जर , मोहनदास करमचंद #गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन से बहुत पहले उन्होंने #बिजौलिया_किसान_आंदोलन के नाम से किसानों में स्वतंत्रता के प्रति अलख जगाने का काम किया था।पथिक जी जीवनपर्यन्त निःस्वार्थ भाव से देश सेवा में जुटे रहे। भारत माता का यह महान सपूत 28 मई 1954 में चिर निद्रा में सो गया। पथिक जी की देशभक्ति निःस्वार्थ थी और जब वह मरे उनके पास सम्पत्ति के नाम पर कुछ नहीं था जबकि तत्कालीन सरकार के कई मंत्री उनके राजनैतिक शिष्य थे। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवचरण माधुर ने पथिक जी का वर्णन राजस्थान की जागृति के अग्रदूत महान क्रान्तिकारी के रूप में किया। पथिक जी के नेतृत्व में संचालित हुए बिजौलिया आन्दोलन को इतिहासकार देश का पहला किसान सत्याग्रह मानते हैं।
#vinod jakhar 
#RajasthanUniversity 
#RajasthanUniversityElection 2017 
vinod vijay pathik

#ChandraShekharAzad को आज उनकी पुण्यतिथि पर दें अपनी श्रद्धांजलि

आज़ाद नाम था उसका 
आज़ादी का मतवाला था
थर-थर कांपते थे शत्रू भी
ऐसा वो हिम्मत वाला था |
लाला जी की मौत के बदले 
सॉण्डर्स को ही मार दिया
गूंगे-बहरे गोंरों का
बम फोड़ के कान साफ़ किया |
बिस्मिल,लाहिड़ी और रोशन सिंह
के संग काकोरी अंजाम दिया
लुटा खजाना अंग्रेजों का
देश-द्रोह का इलज़ाम दिया
लाख जतन कर लिया सभी ने
जब रोक ना पाए आँधी को
तब घर के भेदी के ही संग
दुश्मन ने धोके से घेर लिया
तब लाचार भगत ने
खुद को अपनी ही अंतिम
गोली से ढेर किया |
आँखें बंद हो गयी मगर
वो सपना फिर भी नहीं मरा
जिस की खातिर आज़ाद-भगत ने
तन -मन धन बलिदान करा |
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान और बेहद साहसी क्रांतिकारी #ChandraShekharAzad को आज उनकी पुण्यतिथि पर दें अपनी श्रद्धांजलि -
सत सत नमन!!

Wednesday, 15 February 2017

vinod jakhar bhagat singh

After the rejection of the appeal to the Privy Council, Congress party president Madan Mohan Malviya filed a mercy appeal before Irwin on 14 February 1931. Some prisoners sent Mahatma Gandhi an appeal to intervene.[38] In his notes dated 19 March 1931, the Viceroy recorded:
While returning Gandhiji asked me if he could talk about the case of Bhagat Singh because newspapers had come out with the news of his slated hanging on March 24th. It would be a very unfortunate day because on that day the new president of the Congress had to reach Karachi and there would be a lot of hot discussion. I explained to him that I had given a very careful thought to it but I did not find any basis to convince myself to commute the sentence. It appeared he found my reasoning weighty.
vinod jakhar bhagat singh
vinod jakhar bhagat singh

Monday, 13 February 2017

श्रदांजलि सच्ची श्रदांजलि

समाजकंटकों द्वारा किए गए प्राणघातक हमले से अपने पिता जी की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाली वीरांगना चंद्रकला सैनी को कल छाण गांव , खंडार , सवाई माधोपुर स्थित उनके आवास जाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया।
आखिर थम गई वो सांसे जिसके लिए एक पिता ने सपने संजोये थे....
जो जुल्म करने वालो के खिलाफ लड़ रही थी...
किसान परिवार की बेटी चन्द्रकला सैनी इस दुनिया को अलविदा कह गई.......
कुख्यात अपराधी को फिरौती नहीं देने पर....
वीरांगना की भाँति लड़ते हुए....
बंदूक की गोली का शिकार बन गई....
इस बहन को न्याय मिले तो ही हमारे लिए उसको दी गई श्रदांजलि सच्ची श्रदांजलि होगी।
ईश्वर उनकी आत्मा को मोक्ष प्रदान करे...
श्रदांजलि सच्ची श्रदांजलि होगी। ईश्वर उनकी आत्मा को मोक्ष प्रदान करे...
श्रदांजलि सच्ची श्रदांजलि होगी
ईश्वर उनकी आत्मा को मोक्ष प्रदान करे...

Sunday, 12 February 2017

स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्मदिवस पर उन्हें आकाश भर नमन!

उन्नीसवीं शताब्दी के महान समाज-सुधारकों में स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्मदिवस पर उन्हें आकाश भर नमन!

उन्नीसवीं शताब्दी के महान समाज-सुधारकों में स्वामी दयानंद सरस्वती – Swami Dayanand Saraswati का नाम अत्यंत श्रध्दा के साथ लिया जाता है. जिस समय भारत में चारों ओर पाखंड और मुर्ति-पूजा का बोल-बाला था, स्वामी जी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने भारत में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए 1876 में हरिव्दार के कुंभ मेले के अवसर पर पाखण्डखंडिनी पताका फहराकर पोंगा-पंथियों को चुनौती दी. उन्होंने फिर से वेद की महिमा की स्थापना की. उन्होंने एक ऐसे समाज की स्थापना की जिसके विचार सुधारवादी और प्रगतिशील थे, जिसे उन्होंने आर्यसमाज के नाम से पुकारा.
उन्नीसवीं शताब्दी के महान समाज-सुधारकों में स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्मदिवस पर उन्हें आकाश भर नमन!
#vinodJakhar